UP: कोटेदारों में नहीं दिख रही आय बढ़ाने को लेकर कोर्ई दिलचस्पी

प्रदेश सरकार (UP Government) सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों संचालित करने वाले कोटेदारों की आए को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है।

Sandesh Wahak Digital Desk/ Rakesh Yadav: प्रदेश सरकार (UP Government) सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों संचालित करने वाले कोटेदारों की आए को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है। कोटदार गरीबों को वितरित किए जाने वाले राशन की कालाबाजारी के आगे आय बढ़ाने की कोई सार्थक पहल कर ही नहीं रहे हैं। हाल ही में सरकार ने मुख्य मार्गों पर स्थित सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों पर राशन बेचने के साथ तमाम दैनिक उपयोग की वस्तुएं बेचने का आदेश जारी किया। यह आदेश पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले वर्ष-2019 में भी सरकार की ओर से ऐसा ही एक आदेश जारी किया गया था। यह अलग बात है कि इस आदेश का कोई अनुपालन नहीं हुआ।

प्रदेश सरकार ने अल्प वेतन भोगी और मध्यम वर्ग के लोगों को पर्याप्त मात्रा में राशन उपलब्ध कराने के लिए सरकारी सस्ते गल्ले ही दुकाने आवंटित की है। इन दुकानदारों से कोटदार राशनकार्ड धारकों का माह में दो बार गेहूं, चावल के साथ चीनी का वितरण करते हैं। माह में सिर्फ दो बार राशन वितरण होने की वजह से इसके अलावा कोटेदारों के पास आमदनी का और कोई जरिया नहीं होता है। यह अलग बात है कि सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानें संचालित करने वाले अधिकांश कोटेदार फर्जी कार्ड के माध्यम से राशन की जमकर कालाबाजारी करके जेब भरने में जुटे हुए हैं।

सरकार के आदेश के बाद भी कोटेदारों में नहीं उत्साह

पिछले दिनों सरकार ने कोटेदारों की आए बढ़ाने के लिए मुख्य मार्गों पर स्थित सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों को राशन वितरण के साथ ही साथ दैनिक उपयोग (तेल, साबुन, मंजन समेत अन्य तमाम वस्तुएं) बेचने की अनुमति प्रदान की है। सरकार के कोटेदारों की आए बढ़ाने के लिए उठाये गए इस कदम से कोटेदारों में कोई उत्साह नहीं नजर आ रहा है। बताया गया है कि ऐसा ही एक आदेश यूपी सरकार (Order UP Govt.) की ओर से चार साल पहले (वर्ष-2019) में भी किया गया था।

… लेकिन UP में जारी है कालाबाजारी

इस आदेश के बाद शायद ही ऐसा कोई कोटेदार हो जिसने इसके लिए कोई प्रयास किया हो। चुनिंदा लोगों ने कोशिश जरूर की लेकिन उनका यह प्रयास सार्थक नहीं हुआ। इससे वह फिर से पुराने ही ढर्रे पर आ गए और कार्डधारकों को गेहूं और चावल के बदले चीनी देकर चावल बचाकर उसे खुले बाजार में बेचने में जुटे हुए हैं। राशन की इस कालाबाजारी से कोटेदार मालामाल हो रहे है वहीं पात्र कार्डधारकों को सस्ते गेहूं-चावल से वंचित रहना पड़ता है।

कोटेदारों के लिए सरकार की सराहनीय पहल

सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों के कोटदारों की आए बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से आए आदेश के संबंध में जब जिलापूर्ति अधिकारी सुनील सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि कोटदारों के लिए सरकार का यह सराहनीय कदम है। माह में दो बार राशन वितरण के बाद अधिकांश दुकाने बंद नजर आती हैं। सरकार ने मुख्य मार्ग पर स्थित दुकानों के कोटेदारों को राशन वितरण के साथ ही साथ अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएं बेचने की अनुमति देकर उनकी आय को बढ़ाने का प्रयास किया है। पूर्व में हुए आदेश का अनुपालन नहीं होने के सवाल पर उनका कहना है कि कोटदार अनुपालन करके अपनी आय में इजाफा करेंगे।

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