आयुष्मान योजना में 10 करोड़ का घोटाला, आप सांसद संजय सिंह ने पेश किए सबूत

Sandesh Wahak Digital Desk: आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया है। मंगलवार को मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि बदायूं के महिला अस्पताल में जरूरी चिकित्सा उपकरणों के अभाव में हर महीने 25 से 30 नवजात बच्चों की मौत हो रही है।
संजय सिंह ने दावा किया कि अस्पताल में सीपैक वेंटिलेटर की जरूरत होने के बावजूद, या तो यह उपलब्ध नहीं है या अगर है भी, तो उसे चलाने के लिए स्टाफ को प्रशिक्षण ही नहीं दिया गया। उन्होंने इसे “संवेदनहीनता की पराकाष्ठा” बताते हुए कहा, “यह बेहद शर्मनाक है कि इतनी मौतों के बावजूद सरकार और प्रशासन का रवैया लापरवाही भरा है। अगर वेंटिलेटर लाया भी गया था, तो इसे चलाने के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित क्यों नहीं किया गया?” उन्होंने इस पूरे मामले को “आपराधिक लापरवाही” करार देते हुए कहा कि जिन अधिकारियों और जिम्मेदार लोगों की वजह से बच्चों की जान गई, उन पर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जानी चाहिए।
आयुष्मान भारत योजना में घोटाले का आरोप
संजय सिंह ने आगे कहा कि आयुष्मान भारत योजना में भी बड़े स्तर पर गड़बड़ी सामने आई है। उन्होंने बताया कि हजरतगंज थाने में इस संबंध में एक मामला दर्ज किया गया है, जिसमें फर्जी मरीजों के नाम पर कई निजी अस्पतालों को लाखों रुपये का भुगतान कर दिया गया। उनके मुताबिक, 6239 फर्जी मरीजों के नाम पर 39 अस्पतालों को करीब 10 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। उन्होंने इस घोटाले को गरीबों के हक पर डाका बताते हुए कहा कि सरकार को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत ‘गंभीर’
प्रदेश के अस्पतालों की बदहाल स्थिति की ओर इशारा करते हुए संजय सिंह ने सुल्तानपुर के एक अस्पताल का उदाहरण दिया, जहां एक्सरे रिपोर्ट मरीजों को फिल्म पर नहीं, बल्कि सामान्य कागज पर दी जा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि “क्या यही है उत्तर प्रदेश की हेल्थकेयर व्यवस्था का डिजिटल और आधुनिक चेहरा?”
कुंभ मेले में मौतें और आंकड़ों की हेराफेरी का आरोप
संजय सिंह ने मीडिया को जानकारी देते हुए बीबीसी की एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि कुंभ मेले के दौरान 82 लोगों की मौत भगदड़ और अव्यवस्था की वजह से हुई, लेकिन सरकार ने इन आंकड़ों को छुपाया। उन्होंने आरोप लगाया कि “सरकार ने जानबूझकर मृतकों की संख्या कम दिखाई ताकि कुम्भ की तैयारियों को लेकर उसकी नाकामी उजागर न हो।”
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