48 घंटे बाद तय होगा कौन होगा UP Police का अगला मुखिया, कार्यवाहक DGP मिलने की संभावना

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में स्थाई पुलिस महानिदेशक (DGP) की नियुक्ति को लेकर अभी तक स्थिति साफ नहीं हो पाई है। प्रशांत कुमार, विजय कुमार व आनंद कुमार के नाम की चर्चा तेज, डीजीपी के लिए न तो पैनल भेजा गया है और न ही विश्वकर्मा के कार्यकाल को बढ़ाने का प्रस्ताव।

Sandesh Wahak Digital Desk/Abhishek Srivastav: देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में स्थाई पुलिस महानिदेशक (DGP) की नियुक्ति को लेकर अभी तक स्थिति साफ नहीं हो पाई है। डीजीपी का पदभार संभाल रहे डॉ. आरके विश्वकर्मा का सेवाकाल 31 मई तक ही है। माना जा रहा है कि वे डीजीपी मुख्यालय में स्पेशल डीजी को प्रभार सौंपकर सेवानिवृत हो जाएंगे। हालांकि प्रदेश के गलियारों में एक बार फिर कौन बनेगा डीजीपी को लेकर चर्चा तेज हो गई है। इस बार प्रदेश को स्थायी डीजीपी मिलेंगे या कार्यवाहक। क्या सरकार इस बार पूर्णकालिक डीजीपी की तैनाती करेगी? या तीसरी बार भी कार्यवाहक ही पुलिस का मुखिया बनेगा। इस पर भी कयास लगने शुरू हो गए हैं।

अगर इस बार भी स्थाई डीजीपी (Parmanent DGp) नहीं मिला तो पिछली नियुक्ति को देखते हुए डीजी विजय कुमार रेस में सबसे आगे हैं। सीबीसीआईडी के डीजी विजय कुमार के पास विजिलेंस का अतिरिक्त प्रभार है। वहीं अगर स्पेशल डीजीपी के कांसेप्ट पर सरकार की मुहर लगती है तो डीजी प्रशांत कुमार इसके प्रबल दावेदार होंगे। आनंद कुमार भी सरकार की पसंद हो सकते हैं, लेकिन आनंद आईपीएस लॉबी के समीकरण में फिट बैठते नहीं दिखते हैं।

अचानक हटाये गए थे मुकुल गोयल

DGP

बताते चलें कि 11 मई 2022 को सरकार ने पूर्णकालिक डीजीपी मुकुल गोयल (Full Time DGP Mukul Goyal) को अचानक हटा दिया था। मुकुल गोयल को सरकार ने उनकी कार्यप्रणाली से नाराज होकर ही डीजीपी पद से हटाया था। इसके बाद से अभी तक देश प्रदेश पुलिस को अपना पूर्णकालिक डीजी नहीं मिल पाया है। गोयल के बाद सरकार ने डीजी इंटेलिजेंस डीएस चौहान को कार्यवाहक डीजीपी बनाया था। अब तक डीजीपी के लिए न तो पैनल भेजा गया है और न ही वर्तमान में कार्यवाहक डीजीपी आरके विश्वकर्मा के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से कोई प्रस्ताव भेजा गया है। ऐसे में एक बार फिर कार्यवाहक डीजीपी की ही संभावना अधिक नजर आ रही है।

यूपी में डीजीपी की रेस (DGP Race) में शामिल टॉप फाइव में तीन आईपीएस साइड लाइन हैं। इनमें से एक 5 महीने से प्रतीक्षारत हैं। नियमानुसार डीजीपी की रेस में सबसे ऊपर आने वाले 1987 बैच के आईपीएस मुकुल गोयल हैं, लेकिन डीजीपी पद से हटाए जाने के चलते वे लगभग रेस से बाहर हैं। वह 11 मई 2022 से डीजी नागरिक सुरक्षा के पद पर कार्यरत हैं। 1988 बैच के आईपीएस आनंद कुमार के नाम पर जहां पिछली बार डीजी बनने की मुहर लगने ही वाली थी कि अचानक उन्हें 31 मार्च 2023 को डीजी जेल के पद से ही हटा कर डीजी सहकारिता प्रकोष्ठ भेज दिया गया।

विजय कुमार की है मजबूत दावेदारी

जबकि 1989 बैच के सफी अहसान रिजवी आजकल आईबी में नियुक्त हैं और अभी तक उनके वापस आने की कवायद शुरू नहीं हुई। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे 1989 बैच के आईपीएस आशीष गुप्ता 2 दिसंबर 2022 से ही प्रतीक्षारत हैं। जबकि चर्चा थी कि इन्हें किसी महत्वपूर्ण पद देने के लिए वापस बुलाया गया है। मौजूदा हालात को देखते हुए पहले से ही साइड लाइन चल रहे टॉप मोस्ट सीनियर आईपीएस अधिकारियों के चलते विजय कुमार की मजबूत दावेदारी मानी जा रही है।

प्रशांत कुमार के नाम पर लग सकती है मुहर

प्रशांत कुमार 1990 के यूपी कैडर के आईपीएस ऑफिसर हैं। वर्तमान में बतौर स्पेशल डीजी लॉ एंड ऑर्डर पोस्ट हैं। प्रशांत मूल रूप से बिहार से हैं। वह सीएम योगी के काफी भरोसेमंद अधिकारी (Highly trusted officer of CM Yogi) माने जाते हैं। प्रशांत कुमार को वीरता के लिए 3 बार पुलिस पदक से नवाजा जा चुका है। साल 2020-2021 में इन्हें गैलेंट्री अवॉर्ड मिला था। इन्हें राष्ट्रपति से वीरता का पुलिस पदक भी मिल चुका है। एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रशांत कुमार अब तक 300 से ज्यादा एनकाउंटर कर चुके हैं।

महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं आनंद कुमार

आनंद कुमार सरकार की पसंद हो सकते हैं, लेकिन यहां भी एक पेच फंस रहा है। पेच है कि आनंद आईपीएस लॉबी के समीकरण में अनफिट बैठते दिखते हैं। सरकार अगर आनंद कुमार को कार्यवाहक डीजीपी बनाती है तो स्पेशल डीजी लॉ एण्ड आर्डर प्रशांत कुमार को बदलना पड़ेगा और ऐसा सरकार कतई नहीं कर सकती है। आनंद लंबे समय तक एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और डीजी जेल जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था व अपराध नियंत्रण को बखूबी समझने वाले काबिल अफसर माने जाते हैं। दूसरी तरफ सरकार अगर अपने कार्यकाल के मुफीद अधिकारी के तौर पर देखेगी तो आनंद उस पैमाने पर सबसे फिट हैं।

विजय कुमार की पैरवी करने में लगी है मजबूत लॉबी

तीसरा नाम आईपीएस विजय कुमार का है। वे जाति के दलित हैं। लिहाजा लोकसभा चुनाव से पहले सरकार के लिए जातिगत समीकरण के आधार पर भी विजय कुमार सटीक बैठते हैं। साथ ही अफसरों की एक मजबूत लॉबी विजय की पैरवी करने में भी लगी है। वे जनवरी 2024 में रिटायर होंगे।

Also Read: संपादक की कलम से: विकास का खाका और सियासत

Get real time updates directly on you device, subscribe now.