भाषा विश्वविद्यालय के दीक्षांत में चमके किसान व डिजाइनर के बच्चे, छात्राओं ने मारी बाज़ी

Lucknow News: ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय का 10वां दीक्षांत समारोह मंगलवार को बड़े उत्साह के साथ आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने की, जिसमें उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, राज्यमंत्री रजनी तिवारी और विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक मुजफ्फर अली भी मौजूद रहे।

इस बार दीक्षांत समारोह में कुल 146 स्वर्ण पदक वितरित किए गए, जिनमें 99 पदक छात्राओं को और 47 पदक छात्रों को मिले। छात्राओं की इस शानदार उपलब्धि ने एक बार फिर शिक्षा में उनके बढ़ते वर्चस्व को साबित किया।

तीन-तीन स्वर्ण पदक पाने वाले मेधावियों ने रचा इतिहास

इस बार सबसे ज़्यादा चर्चा में रहे तीन ऐसे छात्र, जिन्हें तीन-तीन स्वर्ण पदक से नवाजा गया। इन छात्रों के माता-पिता अलग-अलग पेशे से जुड़े हैं – कोई किसान हैं, कोई फैशन डिजाइनर तो कोई शिक्षक।

 रहमाना – “मैं प्रोफेसर बनना चाहती हूं” उर्दू, अरबी-फारसी और कला एवं मानविकी संकाय में अव्वल रहने वाली रहमाना को तीन स्वर्ण पदक मिले। उनके पिता इजहार सिद्दीकी फैशन डिजाइनर हैं और मां सुमैया गृहिणी। रहमाना ने कहा,“मेरा सपना है कि मैं इसी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बनूं, जहां से मैंने शिक्षा ली है।”

अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी संकाय के टॉपर अपूर्व को भी तीन स्वर्ण पदक मिले। वह वर्तमान में आईआईटी से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। उनके पिता हरिकेश द्विवेदी शिक्षक हैं। “मुझे इंजीनियरिंग के क्षेत्र में देश के लिए कुछ बड़ा करना है,”

अपूर्व द्विवेदी

धर्मेश यादव – “बनना है असिस्टेंट प्रोफेसर” बीएससी-रसायन, विज्ञान संकाय और स्नातक स्तर पर टॉप करने वाले धर्मेश को भी तीन स्वर्ण पदक दिए गए। उनके पिता किसान बृजकिशोर यादव और मां मनोरमा देवी गृहिणी हैं। “मैं शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देना चाहता हूं, इसलिए असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का सपना देखता हूं।”

छात्राओं ने मारी बाजी, तनु प्रिया को मिले दो स्वर्ण पदक

तनु प्रिया को स्नातक में सामाजिक विज्ञान और बीएड में प्रथम स्थान लाने पर दो स्वर्ण पदक मिले। उनके पिता बज्रनाथ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं। तनु ने कहा, “मेरा लक्ष्य भी प्रोफेसर बनकर शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देना है।”

नई पहल: दो नए स्वर्ण पदकों की शुरुआत

इस बार दीक्षांत समारोह में दो नए स्वर्ण पदकों की शुरुआत भी की गई –

  • डोरी लाल सागर मेमोरियल स्वर्ण पदक
  • रामपति देवी स्वर्ण पदक (इतिहास संकाय)

इन नए पुरस्कारों के माध्यम से विश्वविद्यालय ने अकादमिक उत्कृष्टता को और भी व्यापक रूप से सम्मानित किया।

1424 विद्यार्थियों को दी गई डिग्रियां

समारोह में कुल 1424 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गईं। कुलपति द्वारा प्रस्तुत प्रगति रिपोर्ट में विश्वविद्यालय की विकास यात्रा, नई लैब्स, फैकल्टी विकास और एमओयू की जानकारी साझा की गई।

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