Gonda News: बच्चे पचपन, शिक्षक चार… सिस्टम के आगे महकमा लाचार!

Sandesh Wahak Digital Desk/ए.आर. उस्मानी: गोण्डा जनपद के मुजेहना शिक्षा क्षेत्र में स्थित प्राथमिक विद्यालय चपरतल्ला शिक्षा तंत्र की दुर्दशा और लापरवाही का एक स्पष्ट उदाहरण बनता जा रहा है।
सरकार द्वारा तय मानकों के अनुसार एक शिक्षक पर अधिकतम 35-40 छात्रों की जिम्मेदारी होनी चाहिए, लेकिन यहां 55 बच्चों के लिए चार शिक्षक (एक प्रधानाध्यापक, दो सहायक अध्यापक और एक शिक्षामित्र) तैनात होने के बावजूद बच्चों की संख्या में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हो रही है।
पिछले शिक्षा सत्र में विद्यालय में कुल 61 छात्र पंजीकृत थे, जिसमें से 14 बच्चे कक्षा 5 उत्तीर्ण कर विद्यालय छोड़ गए।
वर्तमान सत्र की शुरुआत 1 अप्रैल से हो चुकी है, साथ ही “स्कूल चलो अभियान” भी जारी है, लेकिन एक माह दस दिन में सिर्फ आठ नए बच्चों का नामांकन हुआ है, जो शिक्षकों की सक्रियता पर सवाल खड़ा करता है।
शिक्षकों की तैनाती में भी दिख रहा मनमानी का खेल
क्षेत्र के अन्य विद्यालयों में भी कुछ शिक्षकों ने नियमों को दरकिनार करते हुए कम बच्चों वाले विद्यालयों में अपनी तैनाती करवा ली है, जिससे जहां एक ओर ऐसे विद्यालयों में शिक्षकों की अधिकता हो गई है।
वहीं, दूसरी ओर बच्चों की संख्या बढ़ नहीं पा रही है। इससे साफ है कि कुछ शिक्षक ‘सिस्टम’ का लाभ उठाकर सुविधाजनक तैनाती पा रहे हैं और विभाग लाचार नजर आ रहा है।
सिर्फ एक शिक्षक कर रहे हैं प्रयास, बाकी लापरवाह
चपरतल्ला विद्यालय में जहां अधिकतर शिक्षक गर्मी के चलते बाहर निकलना भी मुनासिब नहीं समझते, वहीं सहायक अध्यापक सुनील कुमार वर्मा अकेले बच्चों के नामांकन और उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।
उन्होंने शिवानगर ग्राम के मुरावन पुरवा, अहिरनपुरवा, और अन्य दूरदराज के गांवों में जाकर अभिभावकों से संपर्क किया और बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया।
सुनील वर्मा लोगों को शिक्षा के अधिकार, सरकारी योजनाओं जैसे डीबीटी (₹1200), मुफ्त पुस्तकें, ड्रेस, जूते-मोज़े, बैग और पीएम पोषण योजना की जानकारी भी दे रहे हैं। उन्होंने बालकों और बालिकाओं को समान रूप से शिक्षा के लिए प्रेरित करते हुए सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा दिया है।
आधार, उम्र और जन्म प्रमाण पत्र बन रहे नामांकन में रोड़ा
नामांकन में एक बड़ी बाधा बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड बन रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर बच्चों के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है, जिससे उनका आधार नहीं बन पा रहा।
इसके अलावा, छह वर्ष से कम आयु वाले बच्चों का परिषदीय विद्यालयों में नामांकन संभव नहीं होने के कारण कई अभिभावकों को मजबूरी में निजी विद्यालयों का सहारा लेना पड़ रहा है।
अभिभावकों की मांग है कि सरकार को आधार कार्ड और नामांकन प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में कदम उठाने चाहिए, ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ ज़्यादा से ज़्यादा बच्चों तक पहुंच सके।