लखनऊ में करोड़ों की अवैध क्रिप्टो ठगी का पर्दाफाश, आठ आरोपी गिरफ्तार, अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़े तार

Sandesh Wahak Digital Desk: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में साइबर क्राइम पुलिस ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय ठगी रैकेट का भंडाफोड़ किया है। ये गिरोह अवैध क्रिप्टो ट्रेडिंग के नाम पर भारतीय नागरिकों के बैंक खातों (म्यूल अकाउंट्स) में करोड़ों रुपये ट्रांसफर कर धोखाधड़ी को अंजाम दे रहा था। इस सिलसिले में आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और अब तक ₹75 से ₹80 लाख तक की ठगी की पुष्टि हो चुकी है।
ऐसे हुआ खुलासा
संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) के निर्देशन और पुलिस उपायुक्त (अपराध), सहायक पुलिस आयुक्त (गोसाईगंज) के पर्यवेक्षण में साइबर क्राइम थाना, गोसाईगंज थाना और साइबर सेल लखनऊ की संयुक्त टीम ने तकनीकी जांच और मुखबिरों की सूचना पर यह कार्रवाई की। प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार यादव के नेतृत्व में गठित टीम ने लखनऊ के विभिन्न इलाकों से इन आरोपियों को गिरफ्तार किया। इनके पास से भारी मात्रा में डिजिटल डिवाइसेज़ और नकदी बरामद की गई।
‘क्रिप्टो ट्रेडिंग’ की आड़ में धोखाधड़ी
पुलिस जांच में सामने आया है कि यह पूरा नेटवर्क टेलीग्राम चैनलों के माध्यम से संचालित होता था, जिनके तार चीनी नागरिकों या उनके प्रतिनिधियों से जुड़े हुए थे। लेनदेन TRC-20 नेटवर्क पर USDT (Tether) में होता था, ताकि किसी वैध एक्सचेंज या रेगुलेशन की आवश्यकता न पड़े।
गिरोह की कार्यप्रणाली
- गिरोह स्थानीय युवाओं को उनके बैंक खातों के बदले कमीशन का लालच देता था। इन्हें पहले से बता दिया जाता था कि खाते फ्रीज हो सकते हैं जिससे इनकी संलिप्तता की पुष्टि होती है।
- खाता धारकों के खातों में NEFT/RTGS/IMPS के ज़रिए लाखों रुपये ट्रांसफर किए जाते थे, जिसे उसी दिन नकद निकालकर स्थानीय क्रिप्टो ब्रोकर को सौंप दिया जाता था।
- नकदी को डीसेंट्रलाइज़्ड वॉलेट्स में ट्रांसफर कर USDT खरीदा जाता था और फिर टेलीग्राम पर मिले वॉलेट पते पर पैसा भेजा जाता था। इनमें किसी वैध केवाईसी, चालान या टैक्स दस्तावेज की जरूरत नहीं होती।
‘क्रिप्टो ट्रेडिंग’ के नाम पर ढोंग
पूछताछ में सभी आरोपी खुद को ‘क्रिप्टो ट्रेडर’ बता रहे थे, लेकिन उनके पास न कोई वॉलेट KYC था, न एक्सचेंज लेज़र रिकॉर्ड, न टैक्स दस्तावेज। यह स्पष्ट करता है कि असली मकसद अवैध मनी लॉन्ड्रिंग और अंतरराष्ट्रीय फंड ट्रांसफर था।
गिरफ्तार आरोपी
- सत्यम तिवारी (21), मोहनलालगंज, लखनऊ
- दिवाकर विक्रम सिंह (21), बस्ती
- सक्षम तिवारी (21), रायबरेली
- विनोद कुमार (24), गोंडा
- क्रिश शुक्ला (25), जानकीपुरम, लखनऊ
- मो. शाद (31), बाराबंकी
- लईक अहमद (32), गोंडा (फूलबाग, लखनऊ में रह रहा)
- मनीष जायसवाल (40), नीलमथा, लखनऊ
बरामद सामान
- 16 मोबाइल फोन
- 2 लैपटॉप
- 1 टैब
- ₹1.85 लाख नकद
- 3 चेक बुक
- 1 पासबुक
- 4 चार पहिया वाहन
पुलिस अब इस रैकेट से जुड़े अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क और अन्य भारतीय एजेंट्स की भी छानबीन कर रही है। आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियों की संभावना जताई जा रही है।
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