बाराबंकी में मौलाना अब्दुल माजिद दरियाबादी की स्मृति में संगोष्ठी आयोजित, शिक्षा और सामाजिक एकता पर चर्चा

Sandesh Wahak Digital Desk: स्वतंत्रता सेनानी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध शिक्षाविद् मौलाना अब्दुल माजिद दरियाबादी (रह.) की स्मृति में आज रसूलपुर कलां, दरियाबाद (बाराबंकी) में एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का मुख्य विषय था “शिक्षा, जागरूकता और सामाजिक एकता: समय की पुकार”, जिस पर समाज के विभिन्न वर्गों के विद्वानों, शिक्षकों, अधिवक्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का संचालन सिराज अहमद ‘फलाही’ ने किया। जबकि अध्यक्षता मुफ्ती राशिद हुसैन नदवी खेतासराय (प्रधानाचार्य, मदरसा जिया-उल-उलूम, रायबरेली) ने की। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सैय्यद महफूज़ उर रहमान ‘फैज़ी’ (एडवोकेट हाईकोर्ट, लखनऊ और पूर्व उपाध्यक्ष, अवध बार एसोसिएशन) ने मौलाना अब्दुल माजिद दरियाबादी के शिक्षा और सामाजिक योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला।
विशिष्ट अतिथियों में शामिल सैय्यद अली वारसी (सदस्य, हज समिति, उत्तर प्रदेश सरकार), डॉ. अनवर हुसैन खां नेवरा (वरिष्ठ साहित्यकार), एडवोकेट इमरान उल्लाह खान, एडवोकेट सैय्यद अकरम आज़ाद, और एडवोकेट मोहम्मद तैय्यब ने भी मौलाना की शिक्षण दृष्टि और समाज में उनके प्रभाव पर सारगर्भित वक्तव्य दिए।
शिक्षा और सामाजिक एकता पर चर्चा
गोष्ठी में वक्ताओं ने इस बात पर विशेष बल दिया कि शिक्षा और सामाजिक एकता ही किसी समाज की स्थायी प्रगति का आधार होती हैं। मौलाना दरियाबादी का जीवन इन्हीं मूल्यों का प्रतीक रहा है। उन्होंने न केवल ज्ञान का प्रचार किया बल्कि समाज को जागरूक और एकजुट रखने का सतत प्रयास भी किया।
इस अवसर पर क्षेत्र के अनेक सम्मानित नागरिक उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से अब्दुल अज़ीज़ किदवई, मास्टर सैय्यद तलमीज़, अशीर किदवई, मास्टर सैय्यद शाह नवाज़, नाज़िश खान, नवेद असलम क़िब्ला अलीग, शान मोहम्मद ‘शानू’, खालिद खान, मौलाना फैज़ान, राजू सभासद, महमूद उल्लाह, अम्मार राशिद, मुफ्ती अब्दुल मन्नान, डॉ. नदीम अहमद, मास्टर फैजुल्लाह अलीग, नफीस एडवोकेट, मंसूर खान, मास्टर काशिफ, और समीर अहमद शामिल रहे।
कार्यक्रम के आयोजकों में शहाब खालिद, शाह अफगन, एडवोकेट मोहम्मद उमर मुख्तार, मास्टर साद अब्दुल्लाह और उनके सहयोगियों ने मिलकर समस्त अतिथियों और उपस्थित जनसमुदाय का आभार प्रकट किया।
यह आयोजन न केवल मौलाना दरियाबादी के विचारों को जनमानस तक पहुंचाने का एक प्रयास था, बल्कि यह शिक्षा और सामाजिक चेतना के क्षेत्र में एक सकारात्मक पहल के रूप में भी देखा जा रहा है।
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