सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, अब महिला क्रिकेट में ‘मर्दों’ की नो-एंट्री

ECB Ban Transgender Women From Female Cricket: इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने महिला क्रिकेट टीम में ट्रांसजेंडर महिलाओं की भागीदारी पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी है।
बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि अब केवल वे खिलाड़ी जो जैविक रूप से महिला हैं, वही महिला टीम का हिस्सा बन सकेंगी।
ECB का यह फैसला यूके के सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय के बाद आया है, जिसमें “महिला” की परिभाषा को जैविक लिंग के आधार पर तय किया गया।
कोर्ट ने अपने 88 पन्नों के फैसले में 2010 के समानता अधिनियम की व्याख्या करते हुए कहा कि महिला होने की कानूनी पहचान जैविक लक्षणों पर आधारित होनी चाहिए। इस निर्णय के बाद, शुक्रवार को हुई बोर्ड मीटिंग में नई नीति को मंजूरी दी गई।
ECB ने साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि ट्रांसजेंडर महिलाएं ओपन और मिक्स्ड कैटेगरी में महिला खिलाड़ियों के साथ खेल सकती हैं।
लेकिन महिला क्रिकेट की किसी भी स्तर की प्रतियोगिता (चाहे वह घरेलू हो या अंतरराष्ट्रीय) में उन्हें खेलने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
पहले क्या था नियम?
इससे पहले ECB ने टॉप-2 लेवल यानी उच्च स्तरीय टियर क्रिकेट में ट्रांसवुमन के खेलने पर आंशिक प्रतिबंध लगाया था। हालांकि, 2024 की द हंड्रेड लीग जैसी प्रतियोगिताओं में ट्रांसवुमन को महिला टीमों में खेलते देखा गया था।
अब नए नियमों के तहत उन्हें किसी भी स्तर पर महिला क्रिकेट में खेलने से पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पिछले साल पेरिस ओलंपिक 2024 में अल्जीरिया की बॉक्सर इमेन खलीफ को लेकर विवाद खड़ा हुआ था।
उन पर यह आरोप लगा था कि उन्होंने उच्च टेस्टोस्टेरोन स्तर के बावजूद महिला बॉक्सिंग में हिस्सा लिया।
अन्य खेल संगठनों की समान पहल
वहीं, ECB के इस फैसले से ठीक पहले, इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के फुटबॉल संघों ने भी ट्रांसजेंडर महिलाओं को महिला फुटबॉल टीमों में खेलने से रोकने वाली नई नीतियों को लागू किया था। यह बदलाव भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर किया गया।
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