संपादक की कलम से: नाबालिग वाहन चालकों पर सख्ती

Sandesh Wahak Digital Desk : उत्तर प्रदेश सरकार ने नाबालिग वाहन चालकों पर सख्त रुख अपनाया है। शासन ने 18 साल से कम उम्र के बच्चों द्वारा दो और चार पहिया वाहन चलाने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही यह भी तय कर दिया है कि यदि अभिभावकों ने बच्चों को स्कूटी या कार दी तो उन्हें तीन साल की सजा भुगतनी पड़ेगी और 25 हजार का जुर्माना अलग से भरना होगा। नियम का पालन सुनिश्चित करने के लिए माध्यमिक स्कूलों में सख्ती की जाएगी और जागरूकता के लिए अभियान चलाया जाएगा।

सवाल यह है कि :

  • सरकार को सख्ती क्यों करनी पड़ी?
  • क्या नियमों का पालन कराने में परिवहन विभाग सफल हो सकेगा?
  • क्या सरकार के सख्त रुख का अभिभावकों पर असर पड़ेगा?
  • क्या इससे लगातार बढ़ रहे सड़क हादसों पर अंकुश लग सकेगा?
  • क्या इसके लिए सरकार ने कोई ठोस कार्ययोजना तैयार की है या यह आदेश भी परिवहन विभाग की लचर कार्य प्रणाली के कारण समय के साथ ठंडे बस्ते में चला जाएगा?

प्रदेश में सड़क हादसों और इसमें जान गंवाने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सड़क हादसों को लेकर अपनी चिंता कई बार जाहिर कर चुके हैं और इसको नियंत्रित करने के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दे चुके हैं। बावजूद इसके पुलिस-प्रशासन की लचर कार्य प्रणाली के कारण हालात अभी तक नहीं सुधर सके हैं। पूरे प्रदेश में आए दिन बड़े सडक़ हादसे होते हैं।

यही नहीं तमाम कवायदों के बावजूद ट्रैफिक नियमों का पालन तक सुनिश्चित करने में पुलिस-प्रशासन नाकाम रहा है। हालत यह है कि लोग रेड लाइट तक जंप करने में संकोच नहीं करते हैं। तमाम दोपहिया चालक हेलमेट और चार पहिया वाहन चालक सीट बेल्ट का प्रयोग नहीं करते हैं। हादसों में जान गंवाने वालों में बड़ी संख्या नाबालिग किशोरों की भी है।

पुलिस प्रशासन भी नहीं करता है कार्रवाई

ये बिना लाइसेंस दो पहिया और चार पहिया वाहन लेकर सड़क पर फर्राटा भरते हैं और हादसों का कारण बनते हैं। अभिभावक भी अपने नाबालिग बच्चों को शान से स्कूटी और कार चलाने की छूट दे देते हैं। हजारों बच्चे स्कूटी लेकर स्कूल जाते हैं। हैरानी की बात यह है कि पुलिस-प्रशासन ऐसे बच्चों पर कोई कार्रवाई नहीं करती है न ही उनके अभिभावकों को ही फोन के जरिए समझाइश देती है। यही वजह है कि सरकार को सख्त रुख अपनाना पड़ा है।

अब नाबालिग बच्चों को वाहन देने पर अभिभावकों पर शिकंजा कसा जाएगा। हालांकि यह आदेश कितना जमीन पर उतरेगा यह तो भविष्य में ही पता चलेगा लेकिन जिस प्रकार आज की ट्रैफिक व्यवस्था चल रही है, उससे इस आदेश के अंजाम का कुछ-कुछ अंदाजा लगाया जा सकता है। यदि सरकार वाकई सडक़ हादसों को रोकना चाहती है तो उसे न केवल ट्रैफिक नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना होगा बल्कि इसके लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाना होगा अन्यथा आदेश धरा का धरा रह जाएगा।

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