संपादक की कलम से: अमेरिका से रक्षा समझौतों के मायने

पिछले एक दशक में भारत-अमेरिका संबंधों में व्यापक और रणनीतिक बदलाव हुए हैं। इस बदलाव के पीछे दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों की आपसी संबंधों को प्रगाढ़ करने की रणनीति रही है। दोनों देशों के साझा हित भी इसके लिए बहुत कुछ जिम्मेदार हैं।

Sandesh Wahak Digital Desk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान कई अहम समझौतों पर दस्तखत हुए। इन सब में सबसे अहम समझौते रक्षा क्षेत्र में हुए। इसके जरिए भारत न केवल अपनी सेना को और मजबूत कर देगा बल्कि वह हथियारों के आयातक से निर्यातक की भूमिका में भी आ सकता है। हालांकि मोदी सरकार रक्षा उत्पादों को लेकर पहले से ही तमाम योजनाओं पर काम कर रही है। यूपी में बनने वाला रक्षा गलियारा इसकी एक बानगी भर है। रक्षा क्षेत्र में काम आने वाले कल-पुर्जों से लेकर हल्के लड़ाकू विमान, स्वदेशी टैंक और तोपों को बनाने का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। मिसाइल तकनीकी से भारत पहले से लैस रहा है और उसमें कई तरह के प्रयोग लगातार किए जा रहे हैं।

सवाल यह है कि…

  • अमेरिका (America) से वे कौन से समझौते किए गए हैं जो भविष्य में भारत को रक्षा क्षेत्र में एक अग्रणी शक्ति बना देंगे?
  • आखिर अमेरिका, भारत के साथ सैन्य साझेदारी बढ़ाने पर फोकस क्यों कर रहा है?
  • क्या अमेरिका से बढ़ते संबंध चीन और भारत के बीच तनाव को और बढ़ा देंगे?
  • क्या एशिया में शक्ति संतुलन स्थापित करने के लिए अमेरिका, भारत को रक्षा क्षेत्र की अपनी घातक तकनीकी देने पर राजी हुआ है?

संबंधों को मजबूत करने में लगे हैं दोनों देश

पिछले एक दशक में भारत-अमेरिका संबंधों (India America Relation) में व्यापक और रणनीतिक बदलाव हुए हैं। इस बदलाव के पीछे दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों की आपसी संबंधों को प्रगाढ़ करने की रणनीति रही है। दोनों देशों के साझा हित भी इसके लिए बहुत कुछ जिम्मेदार हैं। चीन न केवल अमेरिका को आंखे तरेर रहा है बल्कि भारत के साथ भी संघर्ष की रणनीति पर काम कर रहा है। अमेरिका जानता है कि भारत ही एकमात्र देश है, जो एशिया में चीन को संभाल सकता है। इसके अलावा उसे यहां अमेरिकी कंपनियों के लिए बड़ा बाजार भी उपलब्ध है।

अमेरिका

वैचारिक दृष्टि से भी दोनों देश लोकतांत्रिक प्रणाली से संचालित हैं और प्रवासी भारतीयों ने अमेरिका को कई क्षेत्रों में अपने बूते बहुत मजबूत बना दिया है।

भारत-अमेरिका के बीच हुए पांच बड़े समझौते

यही वजह है कि अमेरिका अब रक्षा क्षेत्र में अपनी घातक तकनीकी भी भारत को देने को तैयार हो गया है। ये समझौते इसी की कड़ी हैं। रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच पांच बड़े समझौते हुए है।

  1. पहले के तहत अमेरिकी और भारतीय कंपनी जेट इंजन का भारत में संयुक्त उत्पादन करेगी।
  2. दूसरा समझौता लाइट होवित्जर तोपों को अपग्रेड करने पर हुआ है।
  3. तीसरे समझौते के मुताबिक दोनों देश स्ट्राइकर बख्तरबंद वाहनों का साझा उत्पादन करेंगे।
  4. चौथे के तहत बेहद घातक और खामोशी से शत्रु को निशाना बनाने वाले अमेरिकी प्रीडेटर ड्रोन भारत को दिए जाएंगे।
  5. पांचवें के तहत अमेरिका की दूर तक मार करने वाली बम मिसाइल का उत्पादन भारत में होगा।

साफ है, ये समझौते भारत की कूटनीति की सफलता का परिणाम है। ये समझौते चीन और पाकिस्तान पर भी दबाव बनाने में सफल होंगे। साथ ही एशिया में अमेरिका की शक्ति संतुलन को साधने की मुराद भी पूरी हो जाएगी।

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