‘भारतीय ज्ञान परंपरा ही योग का विज्ञान है’ सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में प्रो. दिनेश कुमार सिंह का प्रेरक व्याख्यान
Sandesh Wahak Digital Desk: सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर के स्थापना सप्ताह “सिद्धार्थ उत्सव” के तीसरे दिन एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय “भारत की ज्ञान परंपरा और योग का विज्ञान” रहा, जिसमें दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित विद्वान प्रोफेसर दिनेश कुमार सिंह ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार रखे।
वेदों में निहित है वैज्ञानिक सत्य
प्रोफेसर दिनेश कुमार सिंह, जो वेद विज्ञान के भी विद्वान हैं, ने अपने सारगर्भित व्याख्यान में भारतीय ज्ञान परंपरा के वैज्ञानिक आयामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा की जड़ें वेदों में निहित हैं, जहां हजारों वर्ष पूर्व ऋषि-मुनियों ने प्रकृति, चेतना और मानव जीवन के गूढ़ रहस्यों का वैज्ञानिक विवेचन किया था।
उन्होंने बताया कि आधुनिक विज्ञान आज जिस “यूनिफाइड फील्ड थ्योरी” की खोज में लगा हुआ है, उसका मूलभाव वेदांत और योग दर्शन में पहले से ही समाहित है। भारतीय मनीषियों ने ‘एकं सत् विप्रा बहुधा वदन्ति’ के माध्यम से उस एकत्व के सिद्धांत की स्थापना की थी, जिसे विज्ञान अब भौतिक स्तर पर खोजने का प्रयास कर रहा है।

योग केवल आसन नहीं, एक वैज्ञानिक अनुशासन है
प्रो. सिंह ने स्पष्ट किया कि योग केवल साधना या शारीरिक व्यायाम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक पूर्ण वैज्ञानिक अनुशासन है, जो शरीर, मन और आत्मा के समन्वय का माध्यम बनता है। उन्होंने योग की अष्टांग प्रणाली—यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि—का विस्तृत उल्लेख किया।
उन्होंने विशेष रूप से ‘यम’ और ‘नियम’ पर बल देते हुए कहा कि यही योग की आत्मा हैं। जब तक व्यक्ति अपने जीवन में सत्य, अहिंसा, संतोष, तप और ईश्वर-प्रणिधान जैसे मौलिक अनुशासन को आत्मसात नहीं करता, तब तक वास्तविक योग की अनुभूति संभव नहीं है।
अपने निष्कर्ष में प्रो. दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि योग ही स्वस्थ भारत का आधार है, और ‘नियम’ ही श्रेष्ठ भारत की आत्मा है। योग जीवन जीने की एक पद्धति है, जो व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को ऊर्जावान, स्वस्थ और सशक्त बनाती है।
कार्यक्रम में उपस्थिति
संगोष्ठी का सफल संचालन मयंक कुशवाहा ने किया, जबकि संयोजक डॉ. सच्चिदानंद चौबे ने अतिथियों का स्वागत किया। अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर नीता यादव ने आभार ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रोफेसर हरीश कुमार शर्मा, प्रोफेसर सत्येंद्र दुबे, डॉ. विशाल गुप्ता सहित विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षक, विद्यार्थी और कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
रिपोर्ट: जाकिर खान
Also Read:सिद्धार्थनगर में 1,58,429 महिलाओं को सौगात, सांसद-विधायक की मौजूदगी में वितरित हुए चेक

