Lucknow News: मायावती का तीखा वार, बोलीं- ”देवी-देवताओं को मत करो बदनाम, ‘आई लव’ की राजनीति से रहें दूर”
Lucknow News: उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां तेज़ हो गई हैं और इसके साथ ही सियासी बयानबाज़ियों का दौर भी शुरू हो गया है। बुधवार को राजधानी लखनऊ के कांशीराम स्मारक स्थल पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने कांशीराम की पुण्यतिथि के मौके पर एक बड़ी रैली को संबोधित किया।
हज़ारों की भीड़ के बीच मायावती का भाषण इस बार न सिर्फ राजनीतिक, बल्कि सामाजिक और सांप्रदायिक मुद्दों पर भी खासा तल्ख नजर आया।
“धार्मिक भावनाओं से मत खेलो” – ‘आई लव’ विवाद पर मायावती का दो-टूक बयान
मायावती ने अपने संबोधन में हाल ही में देशभर में फैले ‘I Love Mohammad’ विवाद पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा:
“किसी को भी देवी-देवताओं को बदनाम करने या उनके नाम पर राजनीति करने का अधिकार नहीं है। ‘आई लव’ जैसे बयानों से समाज में ज़हर घुलता है, ना कि मोहब्बत।”
उनका यह बयान स्पष्ट रूप से धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति के खिलाफ था। उन्होंने कहा कि धर्म का इस्तेमाल करके समाज को बांटने की कोशिशें नाकाम होंगी।

“धार्मिक ध्रुवीकरण से सरकारें नहीं बनती” – विपक्ष पर निशाना
बसपा सुप्रीमो ने विपक्षी दलों पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि “वोट के लिए धार्मिक भावनाएं भड़काने की साजिशें अब नहीं चलेंगी। बसपा जब सत्ता में आएगी, तो भाईचारा और सामाजिक न्याय की मिसाल कायम होगी।”
दलित वोटों को तोड़ने की साजिश?
अपने कोर वोट बैंक यानी दलित समाज की बात करते हुए मायावती ने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक ताकतें जानबूझकर दलित वोटों को बांटने की कोशिश कर रही हैं।
“समाज के कुछ स्वार्थी लोगों को मोहरा बनाकर हमारे आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में सभी को सतर्क रहने की जरूरत है।”
ईवीएम पर फिर उठे सवाल
मायावती ने एक बार फिर चुनावी प्रक्रिया में इस्तेमाल हो रही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अगर बसपा की सरकार बनी, तो ईवीएम व्यवस्था की समीक्षा की जाएगी और ज़रूरत पड़ी तो इसे बदला भी जाएगा।

सपा पर तीखा हमला: “कांशीराम और अंबेडकर का किया अपमान”
समाजवादी पार्टी (सपा) पर हमला बोलते हुए मायावती ने आरोप लगाया कि सपा ने हमेशा दलित नायकों का अपमान किया है। उन्होंने कहा: आपातकाल के दौर में डॉ. अंबेडकर की विचारधारा की अनदेखी की गई और सपा की सरकारों में कांशीराम जी का कई बार अपमान हुआ। PDA की बातें सत्ता में रहते इन्हें याद नहीं आतीं।”
उन्होंने दलित समाज से अपील की कि वे किसी भ्रम में न रहें और बसपा को मज़बूती से समर्थन दें, ताकि आरक्षण और सामाजिक न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ाया जा सके।

क्या बसपा कर रही है दमदार वापसी?
इस रैली और मायावती के तेवरों से साफ है कि बसपा एक बार फिर अपने पुराने वोट बैंक को एकजुट करने की रणनीति पर काम कर रही है। उनके निशाने पर न केवल धर्म की राजनीति करने वाले हैं, बल्कि वे विपक्षी दल भी हैं जो दलितों को सिर्फ वोट बैंक समझते हैं।
2025 के चुनावी समर में मायावती की यह हुंकार एक बार फिर संकेत देती है कि बसपा सत्ता में वापसी की पूरी तैयारी में है।

