लापरवाही : एक दर्जन से अधिक जेलों में डॉक्टर नहीं, फार्मासिस्ट कर रहे उपचार

Sandesh Wahak Digital Desk : प्रदेश की जेलों में बंदियों के उपचार की व्यवस्था भगवान भरोसे है। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लग रही हो लेकिन सच है। उपचार के अभाव में कई बंदियों की मौत तक हो चुकी है। प्रदेश की लगभग एक दर्जन से अधिक जेलों में डॉक्टर नहीं है। डॉक्टरों के अभाव में बंदियों का उपचार फार्मासिस्टों के भरोसे चल रहा है। गंभीर रूप से बीमार बंदियों को उपचार के बाहर के जिला अस्पतालों में भेजा जाता है। कई बंदियों की बाहर के अस्पताल जाते समय रास्ते में ही मौत हो चुकी है।

वर्तमान समय में प्रदेश में करीब 75 जेल

विभागीय जानकारों के मुताबिक जेलों में मुख्य परामर्शदाता के अलावा परामर्शदाता और फार्मासिस्टों को नियुक्त किए जाने की व्यवस्था है। वर्तमान समय में प्रदेश में करीब 75 जेल हैं। इसमें 69 जिला जेल और छह केंद्रीय कारागार है। इसमें राजधानी की आदर्श कारागार भी शामिल है। यह प्रदेश की एकमात्र जेल है जहां प्रदेश की केंद्रीय कारागार से चयनित हुए बंदियों को ही रखा जाता है। इस जेल में सिर्फ सजायाफ्ता कैदी ही निरुद्ध किए जाते हैं।

आदर्श कारागार में करीब आठ माह से डॉक्टर नहीं

सूत्रों का कहना है कि राजधानी की आदर्श कारागार में करीब आठ माह से डॉक्टर नहीं है। इस जेल में कैदियों के उपचार की व्यवस्था एक फार्मासिस्ट के जिम्मे है। फार्मासिस्ट ही बीमार कैदियों को देखने के साथ ही साथ ही दवाएं भी देता है। इस कारागार में 198 सजायाफ्ता कैदी हैं। इनके इलाज के लिए जेल में अस्पताल बना है। यहां एक डॉक्टर और चार फार्मासिस्ट के पद सृजित हैं, जिनमें सिर्फ एक फार्मासिस्ट तैनात है। इसके अलावा डॉक्टर व अन्य कोई स्वास्थ्यकर्मी नहीं हैं। ऐसे में अचानक कैदियों के बीमार होने पर डॉक्टर उपलब्ध नहीं होता है

सिर्फ सौ डॉक्टर ही वर्तमान समय में तैनात

यह हाल सिर्फ राजधानी की आदर्श कारागार का ही नहीं है। प्रदेश की करीब एक दर्जन से अधिक जेलों में डॉक्टर नहीं है। किसी जेल पर मुख्य परामर्शदाता नहीं है तो परामर्शदाता से काम चलाया जा रहा है। जिस जेल पर दोनों नहीं उस जेल पर बंदियों के इलाज की जिम्मेदारी फार्मासिस्ट के भरोसे चल रही है। मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश की जेलों के लिए करीब 159 डॉक्टर के पद सृजित है। इसमें सिर्फ सौ डॉक्टर ही वर्तमान समय में तैनात है।

बताया गया है कि कई जेलों में तीन से चार डॉक्टर होने चाहिए वहां एक से ही काम चलाया जा रहा है। इस संबंध में जेल विभाग के अधिकारियों ने कई बार जनपद के सीएमओ और जेल मुख्यालय को जेलों में डॉक्टर की तैनाती के लिए पत्र भी लिखे लेकिन यह पत्र फाइलों में ही सिमट कर रह गए। इस अव्यवस्था की वजह से बंदियों को उपचार के लिए काफी मशक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही कई बंदियों को समय पर उपचार नहीं मिल पाने की वजह से मौत भी हो चुकी है।

जल्द ही दूर कर ली जाएगी डॉक्टरों की कमी

जेल मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं लिखने की शर्त पर बताया कि प्रदेश की जेलों में डॉक्टरों के करीब डेढ़ सौ से अधिक पद सृजित है। लेकिन इसमें सौ के करीब ही डॉक्टर तैनात है। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की तैनाती के लिए मुख्यालय लगातार प्रयासरत है। जल्दी ही इस कमी को दूर कर लिया जाएगा। किन बड़ी जेलों में डॉक्टर नहीं हैं के सवाल पर उनका कहना है कि कुछ में हैं, कुछ में नहीं है। इसके लिए लगातार स्वास्थ्य विभाग से सम्पर्क किया जा रहा है।

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