‘आतंकवाद के खिलाफ चुप नहीं बैठेंगे’, शशि थरूर की अगुवाई वाला डेलीगेशन अमेरिका रवाना

Sandesh Wahak Digital Desk: भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी सख्त नीति और शांति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को वैश्विक मंच पर प्रभावी ढंग से रखने के लिए सात विशेष प्रतिनिधिमंडलों को अलग-अलग देशों में भेजा है। इन प्रतिनिधिमंडलों में सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दलों के सांसद शामिल हैं, जो एक स्वर में आतंकवाद के खिलाफ भारत का दृष्टिकोण दुनिया के सामने रख रहे हैं।

यात्रा से पहले कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक वीडियो संदेश साझा किया। उन्होंने कहा, “भारत आतंकवाद से डरता नहीं है और न ही चुप रहेगा। हमारा यह मिशन दुनिया को यह समझाने का प्रयास है कि भारत शांति चाहता है, लेकिन आतंक के सामने झुकेगा नहीं।” उन्होंने इस पहल को ‘शांति का मिशन’ बताते हुए कहा कि भारत सच्चाई को सामने लाने और आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ता से खड़े होने का संदेश देने निकला है।

जेडीयू सांसद संजय कुमार झा, जो जापान में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं, ने बताया कि वह पिछले तीन दिनों से जापान में हैं। उन्होंने कहा, “इस प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्य हैं, लेकिन जब देश की सुरक्षा की बात आती है, तो हम सब एक साथ हैं। पहलगाम में हुआ आतंकी हमला कोई सामान्य घटना नहीं थी। यह हमला योजनाबद्ध था और पर्यटकों को उनके धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया।”

9 अप्रैल को पाक के कई ठिकानों को किया ध्वस्त

उन्होंने यह भी जानकारी दी कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया। “घटना 22 अप्रैल को हुई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल को बिहार में जनसभा के दौरान पहली बार इस मुद्दे पर बोलते हुए सख्त संदेश दिया था।

डीएमके सांसद कनिमोझी, जो रूस में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही हैं, ने कहा, “हम यहां भारत की स्थिति को स्पष्ट करने आए हैं। रूस हमेशा भारत का रणनीतिक सहयोगी रहा है और इस समय, जब पहलगाम में आतंकी हमले में हमने 26 निर्दोष नागरिकों को खोया है, रूस से संवाद और समर्थन बेहद जरूरी है।”

उन्होंने आगे कहा, “यह पहली बार नहीं है जब भारत को आतंक का सामना करना पड़ा है। हमारे सैन्य ठिकानों और आम नागरिकों को पहले भी निशाना बनाया गया है। भारत ने हमेशा शांति की राह को प्राथमिकता दी है, लेकिन पाकिस्तान का दोहरा रवैया इस राह में सबसे बड़ी रुकावट रहा है।” उन्होंने उम्मीद जताई कि वैश्विक समुदाय आतंकवाद के खिलाफ भारत की इस लड़ाई में उसका समर्थन करेगा।

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