Apple के सीईओ Tim Cook बोले- अमेरिका में बिकने वाले iPhone अब होंगे ‘मेड इन इंडिया’

Sandesh Wahak Digital Desk : टेक सेक्टर की दिग्गज कंपनी Apple अब अमेरिकी बाजार के लिए अपने आधे iPhones की मैन्युफैक्चरिंग भारत से कर रहा है। क्योंकि चीन की तुलना में भारत में टैरिफ कम हैं। कंपनी के सीईओ टिम कुक ने यह जानकारी दी। तिमाही नतीजों की घोषणा के बाद CNBC से बात करते हुए टिम कुक ने यह भी बताया कि कंपनी अमेरिका के लिए अपने अन्य प्रोडक्ट्स वियतनाम से मंगवा रही है। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट किया कि चीन अब भी अन्य देशों के लिए Apple के “अधिकांश” उत्पादों का निर्माण करता है।

iPhones के लिए भारत ‘कंट्री ऑफ ओरिजिन’ होगा

कुक ने बताया कि अमेरिका में बिकने वाले बड़ी संख्या में iPhones के लिए भारत ‘कंट्री ऑफ ओरिजिन’ होगा। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब कंपनी चीन से दूरी बनाने की कोशिश कर रही है, क्योंकि चीन के टैरिफ रेट भारत और वियतनाम के मुकाबले काफी ज्यादा हैं। भारत और वियतनाम से आने वाले सामान पर अमेरिका केवल 10% टैरिफ लगाता है।

टिम कुक की यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद सामने आई है। कंपनी पर इसके असर को लेकर कुक ने कहा कि मार्च तिमाही में इसका “सीमित” प्रभाव देखने को मिला, क्योंकि Apple ने अपनी सप्लाई चेन को बेहतर तरीके से ऑप्टिमाइज़ कर लिया था।

भारत में मैन्युफैक्चरिंग iPhone सस्ता होने की उम्मीद

इंडिया डिस्पैच की रिपोर्ट में जेपी मॉर्गन (JPMorgan) के विश्लेषण का हवाला देते हुए बताया गया है कि अगर Apple अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को पूरी तरह भारत में शिफ्ट कर देता है, तो वह अपने iPhones की कीमतों को लगभग पहले जैसा ही बनाए रख सकता है।

कॉस्ट ब्रेकडाउन के मुताबिक, चीन में असेंबल किया गया एक iPhone लगभग $938 का पड़ता है, जबकि भारत में प्रोडक्शन होने पर इसकी लागत करीब $1,008 होगी। यह महज 2% की बढ़ोतरी है, जो अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग की स्थिति में 30% तक कीमत बढ़ने की तुलना में काफी कम है।

मार्च तिमाही में Apple का रेवेन्यू बढ़कर 95.4 अरब डॉलर पर पहुंचा गया। पिछले साल की समान तिमाही में यह 90.75 अरब डॉलर था। इसमें iPhone का रेवेन्यू 46.84 अरब डॉलर रहा। मैक (Mac) से कंपनी को 7.95 अरब डॉलर और iPad से 6.4 अरब डॉलर की आमदनी हुई।

जून में समाप्त होने वाली चालू तिमाही को लेकर सीईओ टिम कुक ने उम्मीद जताई कि कंपनी का कुल रेवेन्यू सालाना आधार पर “लो टू मिड सिंगल डिजिट्स” की दर से बढ़ सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि जून के बाद की स्थिति को लेकर पूर्वानुमान स्पष्ट नहीं है, जिससे संकेत मिलता है कि टैरिफ से जुड़ी स्थिति अभी भी अनिश्चित बनी हुई है।

Apple अक्टूबर से शुरू होकर सितंबर में समाप्त होने वाले फाइनेंशियल ईयर साईकिल का पालन करता है। इस हिसाब से पहली तिमाही अक्टूबर से दिसंबर तक होती है, जिसके नतीजे जनवरी में घोषित किए जाते हैं।

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