चुनाव आयोग के नए नियमों पर राहुल गांधी के आरोपों पर EC बोला- गोपनीयता की रक्षा कर रहे हैं

Sandesh Wahak Digital Desk: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग चुनाव से जुड़े अहम सबूत और डेटा को जानबूझकर नष्ट कर रहा है। इस पर चुनाव आयोग ने भी जोरदार प्रतिक्रिया दी और कहा कि जो कदम उठाए गए हैं, वे गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हैं, न कि सबूत मिटाने के लिए।

राहुल गांधी का आरोप, मैच फिक्स है

शनिवार को सोशल मीडिया पर राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर तीखा हमला करते हुए कहा, वोटर लिस्ट मशीन-रीडेबल फॉर्मेट में नहीं दी जा रही, CCTV फुटेज कानून बदलकर छिपा दी गई है, और अब वोटिंग की फोटो-वीडियो 1 साल नहीं बल्कि सिर्फ 45 दिन में मिटा दी जाएगी। जिससे जवाब चाहिए वही सबूत मिटा रहा है। यह ‘मैच फिक्स’ है और फिक्स चुनाव लोकतंत्र के लिए ज़हर है।

EC की सफाई, नियम और गोपनीयता के दायरे में सब कुछ

राहुल के बयान के बाद चुनाव आयोग ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट किया कि CCTV या वेबकास्टिंग फुटेज सार्वजनिक करना उचित नहीं, क्योंकि इससे मतदाताओं की पहचान उजागर हो सकती है। चुनाव आयोग जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 व 1951 और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार काम करता है। 45 दिन की फुटेज सीमा इसीलिए तय की गई है क्योंकि याचिका दाखिल करने की कानूनी समयसीमा भी उतनी ही होती है।

CCTV फुटेज से कैसे बिगड़ सकती है बात

चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि अगर किसी पार्टी को किसी बूथ पर कम वोट मिले और CCTV फुटेज सार्वजनिक हो जाए, तो यह देखा जा सकता है कि किन लोगों ने वोट नहीं दिया। इससे उन लोगों को भेदभाव, दबाव या धमकी का सामना करना पड़ सकता है, जो कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है। चुनाव आयोग ने यह भी साफ किया कि यदि चुनाव परिणाम को लेकर कोई याचिका दायर होती है, तो उस केस में CCTV व वीडियो फुटेज को संरक्षित किया जाता है और जरूरत पड़ने पर कोर्ट में पेश भी किया जाता है।

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