Patanjali को Allahabad HC से तगड़ा झटका, ₹273.5 करोड़ की पेनल्टी के खिलाफ दायर याचिका खारिज

Sandesh Wahak Digital Desk : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा ₹273.5 करोड़ के जीएसटी जुर्माने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि टैक्स अधिकारी जीएसटी कानून के तहत सीधे जुर्माना लगा सकते हैं, इसके लिए क्रिमिनल केस की जरूरत नहीं है।
कोर्ट ने पतंजलि के तर्क को किया खारिज
न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और विपिन चंद्र दीक्षित की पीठ ने पतंजलि के इस दावे को नहीं माना कि ऐसा जुर्माना केवल आपराधिक मुकदमे के बाद ही लगाया जा सकता है। कोर्ट ने साफ किया कि जीएसटी अधिनियम की धारा 122 के तहत सिविल प्रक्रिया के जरिए जुर्माना लगाया जा सकता है, इसमें क्रिमिनल ट्रायल की जरूरत नहीं होती।
अदालत ने कहा – “विस्तृत जांच के बाद यह स्पष्ट है कि CGST अधिनियम की धारा 122 के तहत जुर्माने का फैसला टैक्स अधिकारी कर सकते हैं, इसमें कोर्ट केस की आवश्यकता नहीं है।”
क्या है पूरा मामला?
पतंजलि आयुर्वेद के हरिद्वार (उत्तराखंड), सोनीपत (हरियाणा) और अहमदनगर (महाराष्ट्र) में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं। कंपनी पर फर्जी टैक्स इनवॉइस और गलत तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का इस्तेमाल करने का आरोप लगा था।
DGGI (गाजियाबाद) ने 19 अप्रैल, 2024 को पतंजलि को नोटिस भेजकर ₹273.51 करोड़ के जुर्माने का प्रस्ताव रखा। हालांकि, 10 जनवरी, 2025 को टैक्स डिमांड वापस ले ली गई, लेकिन धारा 122 के तहत जुर्माने की कार्रवाई जारी रखी गई।
टैक्स विभाग ने पाया कि – “पतंजलि ने बिना असल में माल सप्लाई किए, सिर्फ कागजी लेनदेन कर ITC का गलत फायदा उठाया।”
अदालत का फैसला
पतंजलि ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जुर्माने को चुनौती दी, लेकिन 29 मई, 2025 को कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि जीएसटी नियमों का उल्लंघन करने पर सीधा जुर्माना लगाया जा सकता है, भले ही टैक्स की मांग हटा दी गई हो।