बढ़ती गर्मी से GDP को होगा नुकसान, अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा दबाव

साल-दर-साल बढ़ती गर्मी के चलते देश की खेती, GDP (जीडीपी), अर्थव्यवस्था और लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत दबाव पड़ रहा है।

संदेशवाहक डिजिटल डेस्क। साल-दर-साल बढ़ती गर्मी के चलते देश की खेती, GDP (जीडीपी), अर्थव्यवस्था और लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत दबाव पड़ रहा है। वहीं, जलवायु परिवर्तन की वजह से गरीबी, असमानता और बीमारियों को खत्म करने के देश की कोशिशें भी नाकाम हो रही हैं। यह खुलासा कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की एक नई स्टडी में हुआ है। इसे स्कॉलर्स की एक टीम ने पब्लिश किया है।

टीम के लीडर रमित देबनाथ ने कहा कि लू के चलते 1992 से अब तक देश में 24 हजार से ज्यादा मौतें दर्ज हुई हैं। गर्मी के चलते वायु प्रदूषण बढ़ गया है और उत्तर भारत के पहाड़ों में मौजूद ग्लेशियर पिघलने लगे हैं। देश में जनवरी से अक्टूबर तक तकरीबन हर रोज भीषण मौसम देखने को मिल रहा है, जिसकी वजह से देश को एक साथ कई सारी मौसमी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

देश का 90% इलाका हीट जोन बना

देबनाथ ने रॉयटर्स को बताया कि लगभग भारत के कुल एरिया में से 90% गंभीर हीट जोन बन चुके हैं और ये इस गर्मी से निपटने से के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने लू को अपने डिजास्टर रिलीफ पैकेज में शामिल किया है, लेकिन इन योजनाओं की रफ्तार को तेज करने की जरूरत है।

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2050 तक GDP का 5% का होगा नुकसान!

रिसर्चर्स ने यह चेतावनी भी दी कि भीषण गर्मी के चलते खुले में काम करने की लोगों की क्षमता 15% तक कम हो सकती है, करीब 48 लाख लोगों की जीवन की गुणवत्ता का स्तर गिर सकता है और 2050 तक GDP का 2.4 से 5.4% का नुकसान हो सकता है। अधिक गर्मी की वजह से भारत में आउटडोर वर्किंग कैपेसिटी में 15 फीसदी की गिरावट आएगी।

वहीं, दुनियाभर के वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग ही इस बुरे मौसम की वजह है। संयुक्त राष्ट्र के IPCC की नई रिपोर्ट के मुताबिक जितना ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ेगा, उतनी बार ही मौसम की मार दोगुनी तेजी से बढ़ेगी।

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