मंडी परिषद : दागी अफसरों की पदोन्नति कराने की साजिश फेल

रिटायरमेंट के दिन ही विशेष सचिव करने जा रहे थे बैठक, शासन के हस्तक्षेप के बाद डीपीसी हुई निरस्त

Sandesh Wahak Digital Desk : राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के दागियों की गुपचुप पदोन्नति बैठक सोमवार की सुबह निरस्त हो गई। तैयारी थी कि 31 अक्टूबर की सुबह 11 बजे ही बैठक बुलाकर डीपीसी कर ली जाए, क्योंकि शाम को साहब को रिटायर भी होना है।

प्लानिंग के तहत एक दिन पहले यानी 30 अक्टूबर की शाम चार बजे डीपीसी के लिए मंडी परिषद के अपर निदेशक को अचानक पत्र जारी किया जाता है। डीपीसी कराने के लिए रातभर तैयारी होती है। लेकिन सुबह एक आदेश आता है कि डीपीसी नहीं होगी और सारी प्लानिंग धराशाई हो जाती है। हालाकि गुपचुप डीपीसी कराने वाले विशेष सचिव शाम को रिटायर भी हो जाते हैं। यह डीपीसी उन हालातों में हो रही थी जब इन दागियों की डीपीसी पर हाईकोर्ट से कंटेंप्ट की चेतावनी है। इन दागी कार्मियों के खिलाफ लोकायुक्त में परिवाद दाखिल हो चुका है।

कई अफसरों पर कूटरचित तरीके से नौकरी हासिल करने के आरोप

इन दागी कार्मिकों पर शासनादेश के विपरीत जाकर कूटरचित तरीके से ग्रेड-टू की नौकरी प्राप्त करने के आरोप लगे हैं। मंडी परिषद के जिन अधिकारियों की डीपीसी होनी है, उनमे से सात अधिकारियों के खिलाफ कूटरचित तरीके से नौकरी हासिल करने के आरोप लगे हैं। इन आरोपों की जांच भी शुरू हो चुकी है। आरोप है कि तत्कालीन अपर निदेशक राम विलास यादव ने शासनादेश के विपरीत जाकर डेलीवेज के नौ कर्मचारियों को ग्रेड-टू यानी सहायक अभियंता बना दिया।

इन नौ कार्मिकों में दो रिटायर हो चुके हैं, जबकि सात उपनिदेशक (निर्माण) के पद पर महत्वपूर्ण तैनाती पाए हुए हैं। उक्त सभी का प्रमोशन संयुक्त निदेशक (निर्माण) के पद पर होना है। सभी कार्मिक इस डीपीसी को कराने के लिए तन-मन-धन से लगे हुए थे। लेकिन स्वयं को फंसाने की जहमत कोई नहीं ले रहा था। इसलिए यह डीपीसी दो बार स्थगित भी हो चुकी है।

राम विलास यादव ने की थी अनियमित भर्तियां, उन्हीं अफसरों का कराना था प्रमोशन

अब विशेष सचिव राजीव श्रीवास्तव को 31 अक्टूबर को रिटायर होना था, इसलिए प्लानिंग बनी कि रिटायर होते-होते भला कर जाइए। प्लानिंग गुपचप तरीके से बनी। इसी बीच विशेष सचिव द्वारा मंडी परिषद को भेजा गया पत्र वायरल हो गया। सूचना मिलते ही पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं वर्तमान विधायक रविदास मेहरोत्रा ने मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी को ई-मेल के माध्यम से पूरा घटनाक्रम अवगत कराया, जिसके बाद डीपीसी रोकने के आदेश जारी हुए।

मैने इस अनियमित भर्ती की शिकायत पहले से कर रखी है। जांच होने के बाद ही डीपीसी होनी चाहिए। गुपचुप तरीके से डीपीसी कराई जा रही थी, इसलिए आला अफसरों से शिकायत की।

– रविदास मेहरोत्रा, पूर्व कैबिनेट मंत्री व सपा विधायक

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